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इस दिशा में पैर करके सोने से लक्ष्मी साथ छोड़ देगी आर्थिक तंगी आएगी शरीरिक रोग बढ़ेंगे

by admin April 15, 2019
written by admin

क्यों नहीं रखते पूर्व और दक्षिण दिशा में पैर?

क्या आप सोते समय अपने पैर दक्षिण या पूर्व दिशा की ओर रखते हैं। हिंदू शास्त्रों और वास्तुविदों के अनुसार यह अनुचित है। इससे आपकी ऊर्जा का क्षरण होगा साथ ही आपकी मानसिक स्थिति भी बिगड़ जाएगी। इससे हृदय पर भी गलत प्रभाव पड़ता है। आओ जानते हैं कि क्यों नहीं रखते पूर्व और दक्षिण दिशा की ओर पैर।
दक्षिण दिशा : विज्ञान की दृष्टिकोण से देखा जाए तो पृथ्वी के दोनों ध्रुवों उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव में चुम्बकीय प्रवाह विद्यमान है। दक्षिण में पैर रखकर सोने से व्यक्ति की शारीरिक ऊर्जा का क्षय हो जाता है और वह जब सुबह उठता है तो थकान महसूस करता है, जबकि दक्षिण में सिर रखकर सोने से ऐसा कुछ नहीं होता।

उत्तर दिशा की ओर धनात्मक प्रवाह रहता है और दक्षिण दिशा की ओर ऋणात्मक प्रवाह रहता है। हमारा सिर का स्थान धनात्मक प्रवाह वाला और पैर का स्थान ऋणात्मक प्रवाह वाला है। यह दिशा बताने वाले चुम्बक के समान है कि धनात्मक प्रवाह वाले आपस में मिल नहीं सकते।

हमारे सिर में धनात्मक ऊर्जा का प्रवाह है जबकि पैरों से ऋणात्मक ऊर्जा का निकास होता रहता है। यदि हम अपने सिर को उत्तर दिशा की ओर रखेंगे को उत्तर की धनात्मक और सिर की धनात्मक तरंग एक दूसरे से विपरित भागेगी जिससे हमारे मस्तिष्क में बेचैनी बढ़ जाएगी और फिर नींद अच्छे से नहीं आएगी। लेकिन जैसे तैसे जब हम बहुत देर जागने के बाद सो जाते हैं तो सुबह उठने के बाद भी लगता है कि अभी थोड़ा और सो लें।

जबकि यदि हम दक्षिण दिशा की ओर सिर रखकर सोते हैं तो हमारे मस्तिष्क में कोई हलचल नहीं होती है और इससे नींद अच्छी आती है। अत: उत्तर की ओर सिर रखकर नहीं सोना चाहिए।

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पूर्व दिशा : पश्चिम दिशा में सिर रखकर नहीं सोते हैं क्योंकि तब हमारे पैर पूर्व दिशा की ओर होंगे जो कि शास्त्रों के अनुसार अनुचित और अशुभ माने जाते हैं। पूर्व में सूर्य की ऊर्जा का प्रवाह भी होता है और पूर्व में देव-देवताओं का निवास स्थान भी माना गया है।

*सोने के तीन से चार घंटे पूर्व जल और अन्य का त्याग कर देना चाहिए। शास्त्र अनुसार संध्याकाल बितने के बाद भोजन नहीं करना चाहिए।

शयन समय क्या हो ?

वास्तुविद पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की शयन कक्ष का चयन वास्तु शास्त्र में शयन कक्ष के निर्माण पर विशद चर्चा की गई है। शयन कक्ष यथासंभव दक्षिण अथवा पश्चिम दिशा में ही रखना चाहिए। पूर्व से पश्चिम तथा उत्तर से दक्षिण की ओर बहने वाली सूर्य तथा पृथ्वी की ऊर्जाएं शयन कक्ष को ऊर्जा से भर देती हैं। शयन कक्ष के लिए निम्न बातों का ध्यान अवश्य रखा जाना चाहिए। दरवाजा एक ही हो। शुद्ध वायु प्रवाह की उचित व्यवस्था हो। जिस दिशा में सिर हो, उधर कोई विद्युत या इलेक्ट्राॅनिक उपकरण न रखें। जब मनुष्य निद्रा में होता है तब मस्तिष्क में सक्रियता होती है और उस समय कई प्रकार के रसायनों का निर्माण होता है, जो मस्तिष्क और शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। विद्युत और इलेक्ट्राॅनिक उपकरण इन आवश्यक रसायनों के निर्माण में बाधा पहुंचाते हैं। सिर की तरफ हवा फेंकने वाला पंखा न रखें। शयन कक्ष में तांबे के पात्र में जल हमेशा रखें। रात को विद्युत प्रकाश और पंखे के कारण वातावरण में कुछ विद्युत तरंगें बनती हैं, जो शरीर पर बहुत ही सूक्ष्म प्रभाव डालती हैं। तांबे का पात्र इन विद्युत तरंगों को ग्रहण कर लेता है। पात्र के माध्यम से ये तरंगें जल में समाहित हो जाती हैं और उसकी शक्ति बढ़ जाती है जिससे व्यक्ति को लाभ पहुंचता है। शयन कक्ष को सुसंस्कृत रखना चाहिए, इससे नींद शीघ्र आती है। अगर आप अध्ययन के शौकीन हैं तो पुस्तकें उचित स्थान पर रखें। शयन कक्ष में दुर्घटना से बचने के लिए अनावश्यक फर्नीचर न रखें। रात में शयन कक्ष में हल्का, आंखों को न चुभने वाला प्रकाश अवश्य जलाए रखे।

“वास्तु शास्त्र से करें अनिद्रा का निदान”

 

क्या रात को सोते समय आपको नीद नही आती ….?
क्या सोते समय बुरे सपने आते हैं …..?
सबेरे उठने के बाद भारी लगता है ….?
दिन भर काम में मन नही लगता ….?
क्या सर में भारीपन लगता है …?
क्या रात में कई बार नीद खुलती है ….?
शयन कक्ष के अंदर सोने की दिशा को वास्तु-शास्त्र के अनुसार के अनुसार रखें …..

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रात को सोते समय सोंदर्य पूर्ण कपड़े पहने, दिखने में उदास, कपड़े गंदे न हो …

 

१.घर के बड़े लोगों को दक्षिण में सर रखकर सोना चाहिए, दक्षिण में सर रखने से गहरी नींद आती है
२.ज्ञान प्राप्ति के लिए पूर्व में सर रखना चाहिए ,इसलिए बच्चों को पूर्व में सोना चाहिए
३.पश्चिम में केवल अतिथि को सोना चाहिए ,पश्चिम में सोने से हमेशा चिंता बनी रहती है
४.मृत्यु के पश्चात मुर्दे को उत्तर में सर करके जलाते हैं ,इसलिए उत्तर में सर रखकर सोने से बीमारी की सम्भावना बनी रहती है
५.सोते समय सर के ऊपर कोई बीम या लेंटर्न/टांड नही होना चाहिए
उपाय करके देखने में क्या हर्ज है ……..

पति-पत्नी और शयन अवस्था-

 

जब आप बिस्तर मे सोयें हैं और आपका मुंह छत की ओर है तब पति के बायीं ओर पत्नी को सोना चाहिए-

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सोते समय हमेशा बायीं करवट में सोना चाहिए जिससे आपकी दाहिना नाड़ी रात भर चले, सवेरे चार बजे के आस पास करवट अपने आप परिवर्तित हो जाता है और दिन में बायां नाड़ी चलना चाहिए। वास्तु विज्ञान कहता है, सोते समय अगर पति-पत्नी कुछ बातों का ध्यान रखें तो वैवाहिक जीवन की कई समस्याओं से बच सकते हैं। यहां तक कि संतान सुख में आने वाली बाधाओं को भी इससे कम किया जा सकता है। अक्सर पति-पत्नी सोते समय बेपरवाह होकर सोते हैं। वह यह भी नहीं सोचते कि उनका गलत तरीके से सोना वैवाहिक जीवन में टकराव और तालमेल में कमी की वजह हो सकता है। वास्तुविद पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की वास्तुविज्ञान में कहा गया है कि दाम्पत्य जीवन में आपसी प्रेम और तालमेल के लिए पत्नी को पति के बायीं ओर सोना चाहिए। इसके पीछे एक कारण यह है कि पत्नी को पति का बायां अंग माना गया है। जबकि पति को पत्नी का दायां हिस्सा माना गया है। इससे पारिवारिक जीवन में संतुलन बना रहता है। नवविवाहित पति-पत्नी को उत्तर पूर्व दिशा के कमरे में या कमरे में उत्तर पूर्व की ओर बेड नहीं लगना चाहिए। वास्तु विज्ञान के अनुसार उत्तर पूर्व दिशा का स्वामी गुरु होता है जो यौन संबंध में उत्साह की कमी लाता है जिसकी वजह से दाम्पत्य जीवन निरस होने लगता है और आपस में तालमेल की कमी होने लगती है।पति-पत्नी में यौन इच्छा की कमी होने के कारण आपसी तालमेल की कमी हो रही हो और अक्सर वाद-विवाद हो रहा हो तो उन्हें दक्षिण पूर्व दिशा के कमरे में सोना चाहिए या अपने बेड को इस दिशा में लगाना चाहिए। यह दिशा शुक्र ग्रह से प्रभावित होता है और इस दिशा में अग्नि वास माना जाता है इसलिए इस दिशा में सोने से दाम्पत्य जीवन के प्रति उत्साह और उर्जा का भरपूर संचार होता है।वास्तु विज्ञान के अनुसार उत्तर पश्चिम दिशा का शयन कक्ष पति-पत्नी के लिए हर तरह से बेहतर होता है। इससे आपसी प्रेम और तालमेल बढ़ता है। संतान सुख के लिए भी यह अच्छा होता है।

यदि आप यदि पश्चिम की ओर सिर तथा पूर्व दिशा में पैर रखकर सोते है तो पृथ्वी की चुम्बकीय बल रेखाएं आपके शरीर के लम्बवत जाएगी। महाभारत में बताया गया है कि इस तरह सोने से मनुष्य बीमार हो जाता है तथा संतान के लिए कष्टकारी होता है।

 

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Source: Hanuman Fanclub

April 15, 2019 86 views
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