भारत के झंडे का नाम तिरंगा है और इस तिरंगे को बनाने का श्रेय जाता है पिंगली वैंकेया को उन्होंने ही तिरंगे का डिजाइन तैयार किया था. उन्होंने लगभग 5 सालों तक 30 देशों के झंडों पर रिसर्च किया और इस रिसर्च के नतीजे के तौर पर भारत को राष्ट्रध्वज के रूप में तिरंगा मिला. देश का झंडा देश के नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रतीक होता है और इस प्रतीक की सबको इज्जत करनी चाहिए.

आज जिस तिरंगे को हम देख रहे हैं उसको 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था. आज जो तिरंगा हमारा राष्ट्रीय ध्वज उसका यह छठवां रूप है. इससे पहले तिरंगा थोड़ा अलग था.

आपको बतादें कि पार्थिव देहों से उतरे झंडों का पूरा सम्मान होना चाहिए. अगर चाहें तो इन्हें सम्मान के साथ घर पर रखें या फिर सम्मान पूर्वक एकांत में जला दें. भारत को मृत शरीर के साथ जलाना गैर कानूनी है.

आपको बतादें कि पार्थिव देहों से उतरे झंडों का पूरा सम्मान होना चाहिए. अगर चाहें तो इन्हें सम्मान के साथ घर पर रखें या फिर सम्मान पूर्वक एकांत में जला दें. भारत के झंडे को मृत शरीर के साथ जलाना गैरकानूनी है. शहीदों के शवों पर तिरंगे को रखने का भी तरीका है इसमें केसरिया रंग सिर की ओर होना चाहिए और हरा वाला पैरों की ओर. तिरंगे को शव के साथ सम्मान के रूप में रखा जाता है न कि कफ़न के रूप में.

झंडे का उपयोग अगर आप परिधान के रूप में करना चाहते हैं तो आप इसे कमर से ऊपर तक ही पहन सकते हैं कमर से नीचे नहीं. आपको ये भी पता होना चाहिए कि प्लास्टिक या नायलोन के झंडे विधि सम्मत नहीं हैं इनका उपयोग नहीं होना चाहिए.

फटे पुराने ध्वज नहीं फहराने चाहिए फटे पुराने ध्वजों को उतारकर इनके बदले नए ध्वज फहराने चाहिए और फटे पुराने ध्वजों को सम्मान के साथ जला देना चाहिए. अगर आपको सही झंडा खरीदना है तो वो आपको खादी की दुकानों से खरीदना चाहिए.

कानूनन कारों पर भी झंडा लगाना गलत है. झंडे को घरों या इमारतों पर फहराया जा सकता है. आप अपने चेहरे पर भी झंडा अंकित कर सकते हैं लेकिन उसमें कोई त्रुटि नहीं होनी चाहिए.